The Bengal Files Review: रोंगटे खड़े कर देगी पल्लवी जोशी और विवेक अग्निहोत्री की ‘द बंगाल फाइल्स’
विवेक रंजन अग्निहोत्री की ‘द बंगाल फाइल्स’ की कहानी 16 अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे की सच्ची घटनाओं पर आधारित है. कहानी खास कर के बीते कल और आज के दिनों में लेकर जाती है. फिल्म डायरेक्ट एक्शन डे की कहानी को अलग-अलग तरीके और किरदारों की नजरों से पेश करती है. इस फिल्म में आपको लगभग स्टारकास्ट वहीं हैं, जिन्होंने ‘द कश्मीर फाइल्स’ में भी काम किया था. फिल्म में दर्शन कुमार ने शिवा पंडित का किरदार निभाया है, जो एक पुलिस अधिकारी और कश्मीरी पंडित हैं. उन्हें बंगाल में एक किडनैप हुई लड़की की खोज के लिए तैनात किया गया होता है.
फिल्म में दूसरे कलाकारों की बात करें तो, इसमें मोहन कपूर, दिब्येंदु भट्टाचार्य, प्रियांशु चटर्जी, शाश्वत चटर्जी, सौरव दास और पुनीत इस्सर शामिल हैं, जिन्होंने अपने किरदार में जान फूंकी है. वहीं, नमाशी चक्रवर्ती ने गुलाम सरवर हुसैनि का किरदार निभाया है, जो नोआखली के नेता है. वही लोगों को भड़काता और बड़े पैमाने पर हत्याएं करवाता है. फिल्म में पल्लवी जोशी ने भारती बनर्जी के बुढ़े किरदारों को निभाया है, जो मानसिक रूप से कमजोर है. मिथुन चक्रवर्ती की बात करें तो उन्होंने एक पागल पूर्व पुलिस वाले, ‘द मैडमैन’ का किरदार निभाया है, जिसकी हालत बदहाल होती है. हालांकि, उन्होंने अपने डराने वाले रूप में भी जबरदस्त परफॉरमेंस दी है.
यह फिल्म नोआखली में बाहरी लोगों द्वारा बंगालियों और सिखों के नरसंहार को दिखाती है. फिल्म के कुछ सीन सबसे ज्यादा दिल दहला देने वाले और दर्द भरे हैं, जिसमें सड़कों पर पड़ी लाशें, हर जगह खून-खराबा और खंभों से लटकते हुए बेजान लोग दिखाई देते हैं. बड़े पैमाने पर हुई हत्याओं और बंगालियों और दूसरों पर हुए जुल्मों को इस तरह से दिखाया गया है कि यह न केवल दर्द को बयां करता है, बल्कि दर्शकों को इसे गहराई से महसूस कराता है.
दूसरी ओर, कहानी दो भागों में दिखाई जा रही है, एक पाकिस्तान के विभाजन से पहले और एक विभाजन के बाद. ऐसे में दृश्यों का अचानक बदलना थोड़ा उलझा देता है. कुल मिलाकर, फिल्म अच्छी है और आप इसे इस वीकेंड देखने का प्लान बना सकते हैं. मेरी तरफ से फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार.