कबूतरों की बढ़ती संख्या न सिर्फ अस्वच्छता का सबब बन रही है बल्कि कई बीमारियों का कारण भी बन रही है। जगह-जगह जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है, साथ ही दिल्ली के प्रमुख चौराहों की खूबसूरती, बदसूरती में तब्दील होती जा रही है। इस मुद्दे को हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) ने गंभीरता से लिया है, जब एक 13 वर्षीय छात्र अरमान पालीवाल ने अपनी याचिका में कबूतरों से फैल रही अस्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का जिक्र किया। यहां तक कि एनजीटी ने याचिका के आधार पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगते हुए एमसीडी और डीडीयू को नोटिस जारी किया है। पड़ताल के दौरान अमर उजाला की टीम ने राजधानी के तीन से चार प्रमुख स्थलों का निरीक्षण किया। जिनमें तालकटोरा मुख्य रूप से सामने आया। तालकटोरा के मुख्य गोलचक्कर पर प्रतिदिन भारी संख्या में कबूतर इकट्ठा होते हैं, जहां स्थानीय लोग और राहगीर उन्हें दाना खिलाते हैं। यहां कबूतरों के लिए विशेष रूप से बने चबूतरे या खुले स्थानों पर दाना बिखेरा जाता है, जिससे आसपास की सड़कों पर कबूतरों की भारी भीड़ रहती है।