मुंबई, 6 जून (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आर्थिक सुस्ती से जूझती अर्थव्यवस्था को संजीवनी देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट (0.50%) की कटौती की गई है। इसके बाद रेपो रेट घटकर 5.5% पर पहुंच गया है, जो पिछले तीन सालों का न्यूनतम स्तर है। इससे होम, व्हीकल और कॉर्पोरेट लोन की ईएमआई में कटौती तय मानी जा रही है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.5% पर पहुंच गई है, जो चार वर्षों में सबसे कम है।
तीन महीनों में तीसरी कटौती
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि फरवरी 2025 से अब तक 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा चुकी है। अप्रैल में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती के बाद अब यह तीसरी सीधी कटौती है।
उन्होंने कहा, “तेजी से लिए गए इन फैसलों से ब्याज दरों में आगे और कमी की गुंजाइश सीमित हो गई है, लेकिन इससे निवेश और खपत को बल मिलेगा।”
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक आरबीआई से कर्ज लेते हैं। जब यह दर कम होती है, तो बैंकों को कर्ज सस्ता मिलता है और वे उपभोक्ताओं को भी सस्ते दरों पर लोन उपलब्ध कराते हैं।
महंगाई का अनुमान घटा, विकास दर स्थिर
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा है।
महंगाई दर का अनुमान 4% से घटाकर 3.7% कर दिया गया है। बेहतर मानसून की उम्मीद से खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना जताई गई है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रुख को ‘एकोमोडेटिव’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। इसका मतलब है कि अब आरबीआई बिना किसी झिझक के जरूरत के मुताबिक कदम उठा सकेगा।