December 15, 2025

क्या कैंसर को सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता या पूरी तरह ठीक? पीहू की कहानी से उपजा सवाल, एम्स के डॉक्टर से जानें

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जोधपुर की पीहू कैंसर की अंतिम स्टेज में भी चेहरे पर मुस्कान लिए रहीं और जाते-जाते परिवार संग केक काटकर अलविदा कहा. उनकी ये जर्नी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और लोगों को सिखा रही है कि बीमारी कितनी भी बड़ी हो, हार नहीं माननी चाहिए.

जोधपुर. पीहू, ये नाम सुनते ही आंखों में आंसू आ जाते हैं, क्योंकि ये वह महिला हैं जिन्होंने कैंसर की अंतिम स्टेज तक अपने परिवार के सामने अपने चेहरे पर शिकन नहीं आने दी। उन्होंने खुशी के साथ परिवार को अलविदा कहा, केक काटा और सोशल मीडिया पर उनकी ये जर्नी खूब वायरल हो रही है. इस महिला को देखकर एक मोटिवेशन तो यही मिलता है कि बीमारी चाहे कोई भी हो, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए. संघर्ष करते रहना जरूरी है. नतीजा चाहे जैसा भी हो, मगर परिवार का जो संबल मिलता है, वही इंसान को मजबूत बनाए रखता है. इस महिला के जज़्बे को आज हर कोई याद कर रहा है.

सवाल ये है कि क्या पीहू जैसी और भी मरीज हैं, जो अपने अंदर इतनी पॉजिटिविटी को जिंदा रखते हैं? वरिष्ठ कैंसर चिकित्सक डॉ. पुनिया का कहना है कि पीहू जैसे बहुत कम मरीज होते हैं जो हर हाल में मुस्कान बनाए रखते हैं. यही जज़्बा उन्हें बेहतर ट्रीटमेंट दिलाने में मदद करता है और अन्य मरीजों के लिए प्रेरणा बन जाता है.

कैंसर मरीजों के लिए सबसे अहम सवाल है – इलाज से बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है या पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है? एम्स कैंसर विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. पुनिया ने कहा कि जब भी मरीज और परिवारजन इलाज पर चर्चा करते हैं तो सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही होता है कि बीमारी को सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है या पूरी तरह ठीक भी किया जा सकता है.

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि अगर कोई व्यक्ति मध्यम आयु का है या रिटायरमेंट के नजदीक है और परिवार की जिम्मेदारियां जैसे बेटी की शादी पूरी करनी हैं, तो ऐसे मरीज के लिए इलाज से दो-ढाई साल का अतिरिक्त जीवन भी बहुत मायने रखता है. डॉ. पुनिया ने कहा कि असल मायने में चर्चा इसी पर होनी चाहिए कि सामान्य जीवन में मरीज के पास कितना समय है और इलाज उससे कैसे प्रभावित करेगा.

उन्होंने आगे कहा कि कैंसर मरीजों के लिए सकारात्मक सोच बेहद जरूरी है. यदि मन में पॉजिटिविटी नहीं होगी तो नेगेटिविटी इलाज पर हावी हो जाती है. मरीज का मोटिवेट रहना बहुत जरूरी है क्योंकि इलाज शुरू करना महत्वपूर्ण नहीं है, इलाज को पूरा करना ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है.

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निखिल वर्मा

एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से News18Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ें

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कैंसर को सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता या पूरी तरह ठीक?पीहू की कहानी से उपजा सवाल

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